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Nagni Sar - Aadi Brahma of Rohalgi


झील को नागनी सर कहा जाता है क्योंकि यह नाग देवता को समर्पित है जहां रोहलगी के आदी ब्रह्मा पूरे क्षेत्र के पीठासीन देवता हैं

 नमस्कार आज मैं आपको एक मोटी ही शांत और खूबसूरत जगह के वारे मे बता रहा हूँ  जिसका नाम  'नागणी सर ' और यह जगह  कुल्लू ( हिमाचल प्रदेश  )  मे है  इस जगह के बारे मे बहुत कम लोगों को ही पता है. क्यूंकि यह कोई टूरिस्ट प्लेस नहीं है बल्कि ऐसे ही  लोकल लोगो की आस्था का केंद्र है , यहाँ नाग देवता का वसेरा है जिसे यहाँ के लोग अपना देवता मानते  और नाग देवता को  जयदा शोर सराबा  पसंद नहीं  है  ये  हमें एक लोकल आंटी ने बताया था ,  बो तो यह भी बोल रही थी की यह जगह घुमने के लिए नहीं आस्था के लिए है  और उसने  यह  भी बोला की अगर आप ब्राह्मण या राजपूत हो तभी तलाब के अन्दर जाना नहीं तो बहार ही रुकना । यह बात सुन के मुंझे जयदा हैरानी नहीं हुई क्यूंकि कुल्लू साइड सभी के अपने देवता होते है और उनके कुछ अपने  सिद्धांत होते हैं और  लोगो उन्ही  सिधान्तो के आधार पर चलते है  और मेरे हिसाब से वो सही ही  बोल रही थी क्योंकि कोई बहार से आये और उनकी सदियों पुराणी परम्परा तोड़ दे ये कोई नहीं चहैगा  और बहार के  लोगो के  लिए तो यह एक टूरिस्ट प्लेस से जयदा कुछ नहीं पर यहाँ के लोगो के  लिए यह उनके पूर्बजों की परथा  या यूँ कहुँ श्रद्धा ,आस्था , धर्म , विश्वास बड़ा कुछ  है  इसीलिए कभी भी हिमाचल की  किसी जहग मे जाके उड़-धंग ना मचाये वहां की शान्ति बनाये रखें  नहीं तो बेटा पहाडिये  घसे भी रखते हैं  😆 । 

एक तो साला समझ नहीं आ रहा क्या लिखू पर जो मै लिख रहा हूँ ये तो आपको  गूगल देवता भी नहीं बतायंगे । जब हम ऊपर पहुंचे थे तब कुछ अलग सा ही फील हो रहा था जिसको बाकए  ही शांति बोलते है ऊपर एक नाग देवता का मन्दिर है साथ मे एक रहस्यामई  तलाब , तलाब के बारे मे आपको लास्ट मे  बताऊंगा अभी आपको ये बता दूँ की यह जगह कहां है और आप कैसे जा सकते है  कुल्लू मे भुंतर से तीन -चार घंटे का रास्ता है पैदल। आप भुंतर मे किसी लोकल से पूछ लोगे तो वो आपको बता देगा वैसे आजकल टेक्नोलॉजी का जमाना भी है  लोकेशन आपको गूगल मैप पर मिल जायगी पर आप अगर लोगो को पूछ कर जाओगे जयदा अच्छा रहेगा।
वैसे इस फोटो मे हेयर स्टाइल तो सेक्सी लग रहे हैं मेरा  हैना 😀?

वैसे यहाँ रुकने का जुगाड़ सा तो है पर जुगाड़ ही है प्रॉपर व्यबस्था नहीं 😀 bc कभी कभी तो  मै मोटी ही शुद्ध  हिन्दी लिख रहा हूँ  पले तो पड़ रही है ना।
यहाँ  ना तो  खाने का सीन है और ना ही रेहने का तो अगर कभी जाओ  तो सब कुछ लेके ही जाना  खाने,पीने का समान मतलब पानी भी लेके ही जाना  ऊपर तलाब तो है पर बहुत कम लोग ही वो पानी पी पाते हैं पर मैंने तो पी लिया था  और जिन्दा भी हूँ 😅 मै तो  इस तलाब के चकर  मे ही गया था बड़ा सुना था इसके बारे मे , तलाब की स्टोरी लास्ट मै ही है , और हाँ  हम भी  अपना तम्बू लेके ही  गये थे और खाना बनाने का समान भी हंजी हमने रात का खाना ऊपर ही बनाया था और  हाँ हम दो ही लोग गए थे एक ने तम्बू उठाया था दूसरे नै कुकुर ,मसाले, प्लेट और भी बड़ा रंडी रोना और ऊपर हमने मोटी ही आइटम बना दी जिसे नमकीन चाबल बोलते हैं 😂😂  ऐसे ही bc फालतू की गरारिया ।
पर उस नमकीन चाबल का टेस्ट मटन से कम नहीं था बाबा अलग ही स्वाद। 

अब आप सब सोच रहे होने की तलाब की क्या बकचोदी है भाई तलाब ही तो है तलाब का पानी कहाँ से आता है और कहाँ जाता कोई पता नहीं और अगर आपका मन साफ होगा तभी आप पानी छू सकते हो या पी सकते हो " और ये बात उसी आंटी ने बताई थी " अगर मन साफ नहीं होगा या मन मे आस्था नहीं होगी तो आपको पानी थोड़ा सा पीला और पानी मई छोटे छोटे कीड़े टाइप दिखेंगे पर सच बोलूं तो मुंझे पानी थोड़ा खराबा सा लगा वाकि कुछ नहीं पर जो मेरे साथ गया था वो तो तलाब के अंदर भी नहीं गया और जो पानी मै पी रहा था वो बोल रहा था की उसमे उसको कीड़े दिख रहे है पर मैको लगा की उसका वहम ही था ना तो मै कोई महान हूँ ना ही आस्था वादी, सीधी सी बात है मैं हूँ नास्तिक टाइप का बन्दा जो मानता है की कर्म ही धर्म है, पूजा पाठ करने से भगवान नहीं मिलते,मेरे हिसबा से तो इन्सान का पेहला धर्म इंसानियत होना चाहिए । फिर क्या हिन्दू क्या मुसलमान क्या सिख क्या ईसाई सब खाते तो मुँह से हैं और निकलते भी एक ही जगह से , साला मेको समझ नहीं आता की भगवान कब आये धरती पर और लगा गए धर्म का थपा।
वस करता हूँ नहीं तो मेरे अंदर का बाबा जाग जायगा  और मोटी ही बाते होंगी  😂

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